तर्ज - साजन मेरा उस पार है
फिल्म - गंगा जमुना सरस्वती
यह राजा राम का दरबार है,
आजा शरण में बेड़ा पार है । ।
शिव के धनुष को चढ़ाया है,
सीता से ब्याह रचाया है,
जनक पुरी में जय जयकार है । । आजा । ।
चौदह बरस वन में काटे हैं,
वचन पिता के निभाए हैं,
लक्ष्मण की सेवा बे शुमार है । । आजा । ।
रावण ने सीता चुराई है,
बजरंग ने लंका जलाई है,
गुणगान गाये यह संसार है । । आजा । ।
पापी अधर्मी तुमने तारे हैं,
हमको भी तारो हम तुम्हारे हैं,
विनती "पदम्" की बार बार है । । आजा । ।
फिल्म - गंगा जमुना सरस्वती
यह राजा राम का दरबार है,
आजा शरण में बेड़ा पार है । ।
शिव के धनुष को चढ़ाया है,
सीता से ब्याह रचाया है,
जनक पुरी में जय जयकार है । । आजा । ।
चौदह बरस वन में काटे हैं,
वचन पिता के निभाए हैं,
लक्ष्मण की सेवा बे शुमार है । । आजा । ।
रावण ने सीता चुराई है,
बजरंग ने लंका जलाई है,
गुणगान गाये यह संसार है । । आजा । ।
पापी अधर्मी तुमने तारे हैं,
हमको भी तारो हम तुम्हारे हैं,
विनती "पदम्" की बार बार है । । आजा । ।
-: इति :-