तर्ज - बड़ी मस्तानी है मेरी महबूबा
फिल्म - जीने की राह
फिल्म - जीने की राह
भैया पुकारे है बहना तुम्हार,
बिगड़ी बनादो ए कृष्ण मुरार,
खींचे मेरी साड़ी है, आओ बनवारी । ।
करत उधारी है, आओ बनवारी । ।
नीच यह दुशाशन चीर खींचे सभा में हमारा,
श्याम के बिना तो कोई दीखे नहीं है किनारा,
तूफां ने घेरी है नैया अब हमारी है । । आओ । ।
यह पति हमारे आज बाजी जुए में हैं हारे,
आ पड़ी है विपता नार, अबला है तेरे सहारे,
पापी के हाथों से होत उधारी है । । आओ । ।
चीर को दुशासन खींचते खींचते हाय हारा,
सोचा द्रौपदी ने आ गया है मेरा मुरली वाला,
द्रौपदी की लाज रखी "पदम्" उचारी है । । आओ । ।
-: इति :-
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