तर्ज :- मेरे मन की गंगा तेरे मन की
फिल्म :- संगम
जटों में बहती गंगा, वह भंगिया का दीवाना,
बोल भोला बोल दर्शन देगा की नहीं । ।
भोला भाला जग से भोला जाय बसा वीराने में,
भोला भाला जग से भोला जाय बसा वीराने में,
आन पढ़ा हूँ राह में तेरी, देर करी क्यों आने में,
दिल लेकर के बदले में, दिल देगा की नहीं । । बोल । ।
जब जब पाप बढ़ा धरती पर तब तुमने अवतार लिया,
दुष्टों का संहार किया है, और भक्तों को तार दिया,
मेरे दिल के मंदिर में तू रहेगा की नहीं । । बोल । ।
शिव शंकर है नाम तुम्हारा, डमरू बजाने वाले हो,
आज "पदम्" की दाता तुम्ही लाज बचाने वाले हो,
मुझ अज्ञानी को सेवा में लेगा की नहीं । । बोल । ।
-: इति :-
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