तर्ज - कब्बाली
अगर भोले शिवा शंकर से तुझको प्यार हो जाये,
इसमें शक नहीं की तेरा बेडा पार हो जाये ।।
गरीबों का लहू पीकर जो तूने धन कमाया है,
जोड़ कर कौड़ी कौड़ी को तूने बंगला बनाया है,
आज बंगला है कल मरघट तेरा घर बार हो जाये ।। अगर ।।
आठ बरस तक बचपन तेरा सोलह ज्वानी में भर माया,
दो दिन की है तेरी जवानी इस पर तू इतराया,
बीस तीस में धन दौलत पर जीवन तूने गवांया,
आया बुढ़ापा फिर भी तूने हरी का गीत न गाया,
शिवा के ध्यान से पापी तेरा उद्धार हो जाये ।। अगर ।।
वक़्त पड़े पर भाई बन्धु भी कोई काम न आवे,
सब मतलब के साथी प्यारे प्राण अकेला जावे,
किसी सूरत से शंकर का ‘पदम’ दीदार हो जाये, | | अगर | |
-: इति:-
0 comments:
Post a Comment