Saturday, January 6, 2018

Insaan Hain Par Insaan Nahi

तर्ज :- कव्वाली

बेईमान हैं यह क्योंकि मेरे ईमान के दुश्मन बैठे हैं,
इंसान हैं पर इंसान नही इंसान के दुश्मन बैठे हैं ||

पहले तो हमें अपना कहकर धोके में हमको डाल दिया ,
अब सामने वो इस तरह से मेहमान के दुश्मन बैठे हैं ||

पांचों भाई लाचार हुए द्रौपदी की बाज़ी हार गए ,
बेचारी अबला द्रौपदी की  यह शान के दुश्मन बैठे हैं  ||

सोचा न "पदम" उस पापी ने द्रौपदी है मोहन की बहना ,
आखिर में पड़ी मुंह की खानी जो भगवान के दुश्मन बैठे हैं ||

-: इति :-
Share:

0 comments:

Post a Comment

Contributors

Archives