मेरे बापू का था यही नारा मैं अहिंसा पुजारी रहूँगा |
मेरा हथियार है यह अहिंसा इसी हथियार से मैं लडूंगा ||
हिन्दू मुस्लिम हो या सिख ईसाई,
माँ के बेटे है सब भाई भाई,
तुम अगर साथ मिलकर रहोगे जुल्म का सर झुका कर रहूँगा ||
यही फरमान था सारे जग में,
देश सेवा मैं करता रहूँगा,
ऐ मेरे देश के नौजवानों मैं वतन के लिए जान दूंगा ||
वह जहाँ से गए भी तो क्या है,
नाम उनका अमर है जहाँ में,
ऐ "पदम्" शान में बापू जी के लिखते लिखते कलम तोड़ दूंगा ||
-: इति :-
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