तर्ज:- नीले गगन के तले
गोकुल में शाम ढले,
मथुरा को श्याम चले ||
राधा बेचारी रो रो के हारी,
आँखों का कजरा धुले || गोकुल ||
कोई पुकारे यमुना किनारे,
कोई कदम के तले || गोकुल ||
वह कुञ्ज वन में सखियों के मन में,
विरहा के दीप जले || गोकुल ||
जौहर दिखाओ मथुरा को जाओ,
कंस का पाप पले || गोकुल ||
दिलों जाँ अर्पण पाऊं जो दर्शन,
आस "पदम्" के फले || गोकुल ||
-:इति:-
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