तर्ज:- जिसके सपने हमें रोज़ आते रहे
फिल्म:- गीत 1970
एक लोटे का जल, शिव को, चढ़ाते रहो,सर झुकाते रहो,
फिल्म:- गीत 1970
एक लोटे का जल, शिव को, चढ़ाते रहो,सर झुकाते रहो,
हर समस्या का हल और,कोई तो नहीं - 2
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मस्त गंगा जटों में बहाते हुए,
आयेंगे भोले डमरू बजाते हुए,
उनके डमरू पे दिल को लुटाते रहो,मुस्कुराते रहो।।जग।।
//2//
उनके द्वारे पे जो भी सवाली गया,
मिल गयी उसको मुक्ति न खाली गया,
मोह माया में न भरमाते रहो,गीत गाते रहो ।। जग ।।
//3//
उनके चरणों में जीवन अर्पण करूं,
आरजू है "पदम्" उनके दर्शन करूं,
शिव की भक्ति का मारग बनाते रहो लौ लगाते रहो।। जग ।।
-: इति :-
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