तर्ज :- ओठों को छूलो तुम
जिस दिन भी भारत में हिंदी को नमन होगा,
उस दिन उस पल मेरा खुशहाल वतन होगा ||
अंग्रेजों की अंग्रेजी न साथ गयी उनके,
अंग्रेजी को अपनाना हिंदी का पतन होगा || जिस ||
हिंदी है न हिन्दू की हिंदी न मुसलमाँ की,
यह राष्ट्र की भाषा है यही राष्ट्र का धन होगा || जिस ||
कश्मीर की घाटी से जब कन्याकुमारी तक,
घर घर हर दफ्तर में हिंदी का चलन होगा || जिस ||
हिंदी का है पखवाड़ा हर साल मनाते रहें,
यही "पदम्" प्रतिदिन हो ऐसा किस दिन होगा || जिस ||
जब भारत माता को कहते हैं मदर इंडिया,
कब लक्ष्य को पायेंगे कब चैन अमन होगा || जिस ||
-:इति:-
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