कान्हा की बांसुरी बाजे मधुबन,
नाचे हैं गोपियाँ धुन में मगन ।।
कैसे कटेगी अकेले में रातें,
कान्हा न समझे मुहब्बत की बातें,
यादों में श्याम की तड़पे है मन - 2 ।। नाचे ।।
छोटी सी गउएं छोटे से ग्वाला,
दर्शन को तरसे सभी ब्रज की बाला,
यमुना के तीर पे होगा मिलान - 2 ।। नाचे ।।
मथुरा को जब से गए हैं मुरारी,
"पदम्" यूं पुकारे की सुध लो हमारी,
भूल गए सांवरे करके वचन - 2 ।। नाचे ।।
-: इति :-
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