तर्ज :- कव्वाली
वह भोला नाथ कैलाशी ज़माने से निराला है,
गले में हार फूलों की जगह नागों की माला है ||
तेरे दरबार से शंकर, कोई खाली नहीं आता,
पापियों को मिटाने के लिए, त्रिशूल आला है || वह ||
बिना सोचे भसम कंगन, भस्मासुर को दे डाला,
वह जिसका नाम है भोला बड़ा ही भोला भाला है || वह ||
लगा त्रिपुंड माथे पर सजा है, हाथ में डमरू,
जटों में गंग की धारा मुकुट चंदा उजाला है || वह ||
है गौरा साथ में उनके बड़े दानी हैं अविनाशी,
"पदम्" वह बेसहारों को सहारा देने वाला है || वह ||
-: इति :-
0 comments:
Post a Comment