तर्ज :- कव्वाली
मूषे असवार गजानंद तुम्हें आना होगा,
लाज महफ़िल में मेरी तुमको बचाना होगा ||
सभी देवों से पहले तुमको मना लेता हूँ,
झुका के शीश तेरा ध्यान लगा लेता हूँ,
सुनो गणराज तुम्हें अर्जी सुना देता हूँ,
नैया मझधार में है तुमको बता देता हूँ,
मेरी नैया किनारे तुमको लगाना होगा || मूषे ||
किसी के प्यार को ठुकराना नहीं अच्छा है,
किसी प्यासे को यूं तड़पाना नहीं अच्छा है,
आओ अब देर लगाना भी नहीं अच्छा है,
ऐसे में मुंह को छिपाना भी नहीं अच्छा है,
तुमको गणराज मुझे अपना बनाना होगा || मूषे ||
तुम्हारे चरणों में प्रणाम बार-बार मेरा,
बिना जल तड़पे मीन ऐसे तड़पे प्यार मेरा,
बिना दर्शन के जिया है यह बेकरार मेरा,
ज़िन्दगी मौत की नैया का तू पतवार मेरा,
"पदम्" की झोली में कुछ ज्ञान लुटाना होगा || मूषे ||
-:इति:-
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