तर्ज :- मुखड़ा चाँद का टुकड़ा
फिल्म :- कुदरत का क़ानून
ओ भोले दूर करो दुखड़ा
बैठे दर पे डेरा डाले,
उनकी शरण में आये कितने सवाली यहाँ,
निर्धन और धन वाले ||
सबसे हो भोले भाले, सबसे दयाल हो,
सबसे धनि हो तुम्ही, सबसे कंगाल हो,
बिच्छु सांप हैं जिनके गहने, तन पे एक लंगुटिया पहने,
जिसने जो मांगा, उसने वरदान पाया,
ऐसे दानी हैं शिव मतवाले || ओ भोले ||
अंग भबुती मली, डमरू बजाये हो,
शीश चन्द्रमा का मुकुट सजाये हो,
तुम हो भोले गंगा धारी, करते नंदी की असवारी,
काशीपति मरघट में अलख जगाये,
पिए भांग के भर भर प्याले || ओ भोले ||
आओ भोलेनाथ कहाँ धूनी रमाई है,
बीच भंवर में मेरी नाव डगमगाई है,
तुम हो भोले ओघड़दानी, मैं हूँ दास "पदम्" अज्ञानी,
भक्तों के तुम रखवाले || ओ भोले ||
-:इति:-
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