तर्ज:- एक दो तीन चार पांच छह
फिल्म :- तेजाब
श्रावण सोमवार, न कर विचार,
चलो मेला लगा, भोले के द्वार,
आओ करें शिव की जय कार,
वो ही तेरा बेड़ा लगायेंगे पार ||
अच्छे बुरे को पहचानिए,
जो सांचा लगे उसे मानिये,
इनके खजाने में कौड़ी नहीं,
फिर भी बड़े हैं यह वर दानीये,
भक्तों से करते हैं प्यार || वो ही ||
पर्वत पे आसन लगाए हुए,
अंगों में भस्मी रमाये हुये,
ऐसा लगे है बैठे हैं शिव,
गांजे की दम को लगाए हुए,
सर से बहे गंगा की धार || वो ही ||
डमरू डमाडम बजायेंगे वो,
भक्तों के संकट हटायेंगे वो,
बैठे रहो डेरा डाले "पदम्",
कभी तो गले से लगाएंगे वो,
पापी मन हिम्मत न हार || वो ही ||
-: इति :-
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