
------ तर्ज - लोकगीत ------
शिव शम्भू दूल्हा बने, लेकर चले बारात,
अम्बर से होने लगी फूलों की बरसात,
गौरा तेरो सैंयारी - राम दई अच्छो नैया री,
अच्छो अच्छो नैयारी - प्यारो प्यारो नैया री,
गांजे की जो चिलम चढ़ाये, भंगिया लोटन से पी जाये,
अंग लपेटे एक मृग छाला, गर्दन...