तर्ज :- दे दो दरस महारानी रे
छींद को दादा अलबेला,
लगे मंगल को मेला ||
कोई कहे बजरंगी आला,
कोई कहे माँ अंजनी के लाला,
राम को भगत अकेला || लगे ||
रावण पूँछ में आग लगायी,
तुमने उसकी लंका जलाई,
खेल अजब तुमने खेला || लगे ||
सीता राम लखन मन लायी,
तुमने छाती फाड़ दिखाई,
कौन गुरु कौन चेला || लगे ||
छींद गाँव की महिमा न्यारी,
मेला भरत दशहरे पे न्यारी,
भक्तों की रेलम रेला || लगे ||
बजरंग के गुण गाओ प्राणी,
"पदम्" यूं कह गए ज्ञानी ध्यानी,
जग है झूठ झमेला || लगे ||
-: इति :-
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