------ तर्ज - लोकगीत ------
शिव शम्भू दूल्हा बने, लेकर चले बारात,
अम्बर से होने लगी फूलों की बरसात,
गौरा तेरो सैंयारी - राम दई अच्छो नैया री,
अच्छो अच्छो नैयारी - प्यारो प्यारो नैया री,
गांजे की जो चिलम चढ़ाये, भंगिया लोटन से पी जाये,
अंग लपेटे एक मृग छाला, गर्दन में नागों की माला,
जटों में गंगा मैया री - 2 || राम दई ||
ना है बाप, ना है महतारी, ना घर द्वार, न महल अटारी,
पर्वत पे टूटी मड़ैया री - 2 || राम दई ||
हल्दी, उबटन न तेल चढ़ायो, तन पे भबूत लगाके आयो,
पांव न पैरी पनैया री -2 || राम दई ||
हाथी, घोड़ा कछु न लायो, बड़े बैल पे बैठ के आयो,
कानों में लटके ततैया री - 2 || राम दई ||
ब्रह्मा, विष्णु संगी साथी, भूत बेताल बने बाराती,
चुड़ेलें नाचे ताता थैया री -2 || राम दई ||
गौरा ने एकऊं न मानी, शिव की हो गयी प्रेम दीवानी,
"पदम्" पड़ो इनके पैयारी - 2 || राम दई ||
-: इति :-
0 comments:
Post a Comment