------ तर्ज:- डोली चढ़ के दुल्हन ------
भोले सज के उमा को ब्याहने चले,
वह तो उबटन के बदले भबुती मले ||
वह मुकुट की जगह चन्द्र घेरे हुए,
मस्त सेहरा जटाओं का पहने हुए,
उनकी गर्दन में नागों की माला पड़ी,
सांप बिच्छु तो शंकर के गहने हुए ||
छाल मृगा से तन को छिपाये हुये,
जा रहे भोले डमरू बजाये हुये,
हाथ में उनके त्रिशूल प्यारा रहे,
गंगा रानी जटों से बहाये हुये ||
भूत संग में बाराती चले जा रहे,
ब्रह्मा विष्णु सभी फूल बरसा रहे,
जो "पदम्" इनके चरणों की सेवा करे,
हर जगह चाँद जैसा चमकता रहे ||
-: इति :-
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