मैया मुझे मिली पहड़िया में - 2
लांगुरिया नाचे दुअरिया में ||
पर्वत के भीतर गुफा है सुहानी,
जाकर के बैठी गुफा में भवानी,
जयकार हो रही अटरिया में - 2 || मन ||
लाल लाल मेहँदी है लाल लाल विदिया,
लाल लाल मुखड़े पे लालइ चुनरिया,
गोटा जड़े है चुनरिया में - 2 || मन ||
हाथों में चूड़ियां हैं पांव पैजनिया,
कानों में बाली, कमर कर्धनियां,
हीरा जड़े है मुन्दरिया में - 2 || मन ||
मैया मिली है तो ममता मिली है,
अब कोई आशा "पदम्" को नहीं है,
गुणगान गाऊँ मड़ुलिया में - 2 || मन ||
-: इति :-
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