मुरली बजाके घनश्याम ने राधा का मन हर लिया,
कहाँ जा छिपे हो कान्हा जुल्मी पिया ||
एक दिना मेरी रोके डगरिया,
एक न माने मेरी फोड़े गगरिया,
अब का करूं में गुइयाँ धड़के जिया || मुरली ||
क्या गोकुल है क्या बरसाना,
कौन नहीं है श्याम तेरा दीवाना,
जिसने पुकारा उसको दर्शन दिया || मुरली ||
नटखट छलिया नन्द का लाला,
"पदम्" की झोली भरने वाला,
भक्तों ने तन मन तुमको अर्पण किया || मुरली ||
-: इति :-
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