------ तर्ज:- कव्वाली ------
माँ के मंदिर में पंडा पुजारी माँ की ज्योति जलाए हुए हैं,
यहाँ लगता है नौ दिन का मेला, हम भी दर्शन को आये हुए हैं ||
शेर पे बैठी है माँ भवानी, इनकी महिमा किसी ने न जानी,
लाल झंडा चढ़ाते हैं पंडा लाल चूनर उड़ाए हुए हैं ||
द्वार आते हैं कितने सवाली, आज तक कोई लौटा न खाली,
सबके भण्डार भारती हैं मैया सबपे ममता लुटाये हुए हैं ||
साधना वन्दना हम न जाने, फिर भी आये हैं माँ को रिझाने,
तन की थाली में एक फूल मन का, तेरी पूजा को लाये हुए हैं ||
हो रहे रोज आतंकी हमले, कैसे भारत मुसीबत से निकले,
तुम्ही दुर्गा, तुम्ही महाकाली, आस तुमसे लगाए हुए हैं ||
यह "पदम्" को मिला है ठिकाना माँ के दरबार से अब न जाना,
हाथ सर पे दया का माँ का रख दो, शीश दर पे झुकाए हुए हैं ||
-: इति :-
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