अकबर था एक राजा मन का था बड़ा जिद्दी
जवाला ने अपनी शक्ति - राजा को जब दिखा दी ||
राजा ने मन में ठानी - दरबार में जाऊगा
ध्यान से भी कुछ अच्छा - चढ़ावा चढ़ाऊगा||
वह लेकर सवा मन का - सोने का छतर लाया
नंगे ही पांव चलकर - मैया के द्वार आया ||
सोने का छतर मेरा - स्वीकार करेगी मां
ध्यानु की तरह मुझ पर - उपकार करेगी मां ||
मैया बड़ी दयालू - राजा ने मन में सोचा
सबसे बड़ा भगत हूं - उसका घमंड आया ||
मैया के शीश पर वह - जब छतर को चढ़ाने
तैयार किया राजा - मैया को जब मनाएं ||
अकबर की यह नादानी - सब देख रही मैया
करना कु क्षामा - यह सोच रही मैया ||
सोने का छतर उसका - गिरा दिया था मां ने
अंजाम घमंडी को - दिखला दिया था मां ने ||
मां ज्वाला की ज्वाला से - सोना भी काला हो गया
शक्ति है मां में कितनी - दुनिया को दिखा रहा है ||
भक्ती से "पदम्"
जो भी - मैया को जानते हैं
हिंदू हो या मुसलमान - मैया को मानते हैं ||
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