हम तो ठहरे फरियादी मां के दर पर जाएंगे,
झोलियाँ मुरादों की भर के लौट आएंगे || हम ||
नेकी और कमाई की रूखी सूखी खाते हैं,
भोग हलवा छोले का मां को क्या लगाएंगे || हम ||
मां तेरे भगत बड़े अजीब होते हैं- थोड़े अमीर ज्यादातर गरीब होते हैं,
जिन पर मैया की नजर होती है - वह बड़े खुशनसीब होते हैं,
देवी मां चरणों में गंगा जमुना बहती है
हम तो लाये एक गडुआ मां को क्या नहलायेंगे || हम ||
मेरी मां हम तुमसे प्यार करते हैं, अपना सब कुछ तुम्हीं पर निसार करते हैं
मां के दरबार में आए हैं, मांगने के लिए उनके चरणों को नमन बार-बार करते हैं
द्वार द्वार जाके हुए तार-तार दामन के
गोटा जड़ी लाल चुनरी मां को क्या उड़ाएंगे || हम ||
हम सवाली की झोली यहां भर जाती है, उनके दरबार में तक़दीर संवर जाती है
समझ में कुछ नहीं आता, यह नजर कैसी है, जिधर भी देखता हूं माँ ही नजर आती है
यूं "पदम" के जीवन में आज तक अंधेरा है,
ज्वाला मां के भुवना में, ज्योत क्या जलाएंगे || हम ||
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