------ तर्ज:- ऐसी दोपहरी न जाऊं रे डोली पिछवाड़े ------
जाना है माँ की दुअरिया मैहर की नगरिया |
इस दर से बिन मांगे मिलता,
माँ के बिना पत्ता नहीं हिलता,
मेरी भी ले लो खबरिया || मैहर ||
निर्धन को धन देती मैया,
निर्बल को बल देती मैया,
बैठी है ऊंची अटरिया || मैहर ||
दीन दुखी से प्यार करे माँ,
पंचरंगी श्रृंगार करे माँ,
पंचरंग ओढ़े चुनरिया || मैहर ||
हनुमत लाल ध्वजा लहराए,
भूत चुड़ेल निकट नहीं आये,
अंगना नाचे लांगुरिया || मैहर ||
यह जीवन बुल बुला है पानी,
"पदम्" सुमर जगदम्ब भवानी,
बीत न जाए उमरिया || मैहर ||
0 comments:
Post a Comment