------ तर्ज:-मंदिर से दौड़ी चली आउंगी, कोई दिल से पुकारे ------
पनघट से दौड़ी चली आउंगी,
कान्हा मुरली बजादे,,,,,
मधुवन में रास रचाऊंगी,
कान्हा मुरली बजादे,,,,
(१)श्याम सुंदर से लागे नैना,
तुम बिन हमको चैन पड़े ना,
तुम संग प्रीत निभाउंगी ।।
कान्हा मुरली,,,,,,,,,
(२)नन्दलला की सावरी सूरत
चंचल चितवन मोहिनी मूरत,
माखन मिश्री खिलाऊँगी।।
कान्हा मुरली,,,
(३)तुमने मुरली मधुर बजाई,
तन मन की मेने सुध बिसराई,
पीर जिया की दिखाऊँगी।।
कान्हा मुरली,,,,,,,
(४)श्याम पिया का मिले जो दर्शन,
"पदम"ने जीवन कर दिया अर्पण,
मन मन्दिर में बिठाउगी।।
कान्हा मुरली ,,,,,,,,,,,
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