चलो रे चलें दर्शन को ||
माई के अंगना पवन बुहारे, अगन माई की आरती उतारे,
धरती अम्बर में गूंजे है जयकारे || चलो ||
माई की शरण में जो भी आये, बिन मांगे सब कुछ पा जाये,
मेरी माई के भरे है भण्डार || चलो ||
माई की महिमा सबसे न्यारी, शीश झुकाए दुनिया सारी,
एक दाती है सवाली हैं हजार || चलो ||
सबसे सांचा माँ का द्वारा, दूर करे मन का अँधियारा,
माँ के हाथों में है सबकी पतवार || चलो ||
“पदम्” माई की बात निहारे, दूखन लागे नयन हमारे,
कर लो गीतों की यह माला स्वीकार || चलो ||
-: इति :-
0 comments:
Post a Comment