------ तर्ज:- आधा है चन्द्रमा रात आधी ------
दंगल में आज बचा जान भाई, बचा प्राण भाई,
नहीं देवी पे चढ़ा दूंगा बलिदान भाई, बचा प्राण भाई ||
देख खंजर मेरा लपलपाये, नहीं गुस्सा जिगर में समाये
तुझे भेजूं शमशान अरे सुनले शैतान,
भला चाहे तो कहना मेरा मान भाई || बचा प्राण भाई ||
युद्ध तुझसे करूंगा मैं रण में, नाश कुल का तेरा कर दूं छण में,
सुनले दुश्मन अज्ञान मति बन रे नादान,
तेरा मिट जाये नामों निशान भाई || बचा प्राण भाई ||
कभी दंगल में आके न फंसना अब "पदम्" के निशाने से बचना,
मारे ज्ञानों की मार देवे पल में पछाड़,
मुझे अच्छी तरह से पहचान भाई || बचा प्राण भाई ||
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