तर्ज - पार्वती तेरो सैया री, में देख आई गुईया,
हां हां री में देख आई गुईया
केसे मिले हमरे सैंया री , बताए दईओ गुइयां
हां हां री ,बताए दैयो गुइयां
पकरन चाही मैं पकर न पायी,
दे गए छील विलैयां || बताओ ||
वा घर की मैं जानत नैया,
कैसे धरूं दोई पैयां || बताओ ||
तेरे बलम की कौन निशानी,
इनमें एकउ नैयां || बताओ ||
जब से गए तो अब घर आये,
हो गए मूड़ हिलैयां || बताओ ||
"पदम" कहत हैं सुन भई रसिया,
जा सुधरन की नैया || बताओ ||
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