किसी गुलशन की तू चम्पाकली मालूम होती है,
ओ जाने मन तू नाजों की पली मालूम होती है ||
नाज अंदाज से तू दिलजली मालूम होती है |
किसी भी मनचले द्वारा छली मालूम होती है |
अदा भोली तेरी सूरत भली मालूम होती है |
तेरा कूंचा तो जन्नत की गली मालूम होती है |
जवानी भी बुढ़ापे में ढली मालूम होती है |
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