------ तर्ज:- "जस" धूरा भरी पैंजनियां हो माई तेरी ------
मैया के गुण गाओ रे मोरे भैया,
चरनन शीश नबाओ रे मोरे भैया ||
पंडा पुजारी ने बो दये जबारे, मढ़ में बजे नित ढोल नगाड़े,
नौ दिन धाम लगाओ रे मोरे भैया ||
माई को नरियल निबुआ चढ़त है, आठ दीप नौ खंड पुजत है,
पूजा थार सजाओ रे मोरे भैया ||
चौंसठ योगिनी नाचे गायें, ब्रह्म, विष्णु वेद सुनाएं,
शिब ने डमरू बजाओ रे मोरे भैया ||
आंबे मात को साचों द्वारो, दूर करे मन को अंधियारों,
मन की प्यास बुझाओ रे मोरे भैया ||
नौ देवी को नौ दिन मेला, द्वार पे हो रई रेलम रेला,
जय जय कार लगाओ रे मोरे भैया ||
जगमग ज्योत अखंड जगी है, तुमरे दरश की भीड़ लगी है,
ज्योत से ज्योत जलाओ रे मोरे भैया ||
ऋषि मुनि तुमरे जस गायें, "पदम्" चरण में बलि बलि जाए,
श्रद्धा सुमन बरसाओ रे मोरे भैया ||
0 comments:
Post a Comment