------ तर्ज:-मंदिर से दौड़ी चली आऊँगी ------
शिव के भुवन चली जाऊँगी, कोई रोके या टोके।।
रोके या टोके कोई रोके या टोके...
शिव की दीवानी बन जाऊगी ।।कोई रोके या टोके।।
(१)पुूजा की मेने थाल सजाई
गंगा जल लौटा भर लाई ।
गंगा से शिव को नहलाऊंगी।।
कोई रोके या टोके ।।
(२)धोरे अकौआ को फूल चढ़ाऊँ,
भांग धतूरे का भोग लगाऊं।
चंदन को टीका लगाऊँगी।।
कोई रोके या टोके ।।
(3)पल पल शिव की छवि निहारुं,
आम की डार पे झूला डारुं,
शिव को झूला झुलाऊंगी ।।
कोई रोके या टोके।।
(४)"पदम" के मन को धीर बधादो,
दर्शन की एक झलक दिखादो।।
भोले के गुणगान गाऊँगी।।
कोई रोके या टोके।।
शिव के भुवन चली जाऊँगी।
कोई रोके या टोके।।
-: इति :-
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