------ तर्ज:- साँची कहे ------
------ फिल्म:- नदिया के पार ------
विपता हरो करो कृपा माँ दुर्गे,
बिगड़ी हमारी संवार दो जी,
दर पे सवाली तुम्हारे माँ काली,
आशीष झोली में डार दो जी ||
करती है जगदम्बे सिंह पे सवारी,
माया किसी ने न जानी तुम्हारी,
विनती करें हैं तोरे चरणों पड़े हैं,
भक्तों के संकट को तार दो जी ||
कोई कहे काली, कोई कलकत्ते वाली,
शुम्भ निशुम्भ पछाड़ने वाली,
दुष्टों को मारा है, भक्तों को तारा है,
हमको भी काली माँ तार दो जी ||
दुनिया तेरी चार दिन का है डेरा,
मुझको कहें सब यहाँ मेरा मेरा,
मैं मोह माया में डूबा हुआ हूँ,
मैया "पदम्" को उबार दो जी ||
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