Sunday, September 30, 2018

Shiv Ke Pyare Ganesh

----- तर्ज़:-मेरे रशके कँवर तूने पहली नज़र -----

 !!भजन!!

शिव के प्यारे गणेश,काटो बिघ्न क्लेश,
मेरे अंगना पधारो,में तर जाऊंगा।।
एक दया की नज़र,आप करदो इधर,
मेरी बिगड़ी सुधारो, में तर जाऊंगा।।

(१)रिद्धि सिद्धि के दाता कहें आपको,
     ज्ञान बुद्धि बिधाता कहें आपको।
करके मूषे सबारी चले आइये,
मेरा नर तन सबारो में तर जाऊंगा।।

(२)चार मोदक के लड्डू चढ़ाये तुम्हें,
     सारे देवों से पहले मनाएं तुम्हें।
नाम सिमरन करें,शीश चरनन धरें,
पार भव से उतारो,में तर जाऊंगा।।

(३)आपके दर पे जो भी सबाली गया,
   आज तक कोई दर से न खाली गया।
में हूं पापी अधम,है शरण मे "पदम"
गीत मेरे निहारो,में तर जाऊंगा।।

   ।।इति।।


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Maa Ka Dar Choom Kar

 -----तर्ज़:-मेरे रशके कवर,तूने पहली नज़र -----

  !!भजन!!

माँ का दर चूम कर,सारे ग़म भूल कर।
मेने अर्जी लगाई,मज़ा आ गया।।
दर बदर घूम कर,मैया के द्वार पर,
मेने झोली फैलाई,मज़ा आ गया।।

(१)सिंह पर बैठ कर माँ भवानी चली,
     दुष्ट दानव पे माँ की दुधारी चली।
रण में संघार कर,दुष्टों को मार कर,
मुंडमाला बनाई,मज़ा आ गया।।

(२)माँ की कृपा के बादल बरस जाएंगे,
    सबके बिगड़े मुकद्दर सवर  जाएंगे।
बात बन जाएगी,झोली भर जाएगी,
माँ से आशा लगाई,मज़ा आ गया।।

(३)आसरा इस जहां का मिले न मिले,
 माँ के दर पे "पदम" को ठिकाना मिले।
आ गए द्वार माँ, कर दो उपकार माँ,
माँ की महिमा को गाई, मज़ा आ गया।।

  ।।इति।।


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Gaura ne pees kar,ghaut kar

----- तर्ज़:-मेरे रश्के कँवर,तूने पहली नज़र -----

 !!भजन!!

गौरा ने घोंट कर,पीस कर,छान कर,
शिव को भंगिया पिलाई,मज़ा आ गया।।
छोड़ कैलाश को पहुंचे शमशान में,
गांजे की दम लगाई,मज़ा आ गया।।

(१)जब नशा भांग गांजे का चड़ने लगा,
     भोला नचने लगे डमरू बजने लगा।
जल चुकीं थीं चिताएं जो शमशान में,
उनकी भस्मी लगाई,मज़ा आ गया।।

(२)वदी फागुन चतुर्दश तिथि आई है,
शिव से गौरा मिलन की घड़ी आयी है।
शिवजी दूल्हा बने ,गौरा दुल्हन बनी,
शिव ने शादी रचाई,मज़ा आ गया।।

(३)भोला धनवान हैं ना तो कंगाल हैं,
शिव महादेव हैं शिव महाकाल हैं।
शिव के चरणों मे हम,आ गए है"पदम"
राह मुक्ति की पाई, मज़ा आ गया।।

   ।।इति।।


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Chali Modi Leher

----- तर्ज़:-मेरे रशके कवर तूने पहली नज़र -----

!!गीत!!

चली मोदी लहर,हर नगर हर डगर,
BJP रंग लाई,मज़ा आ गया।।
मोदी PM मिले, भगवा झंडे तले,
INDIA मुस्कुराई, मज़ा आ गया।।

(१)टेक्स चोरों ने अपनी तिजोरी भरी,
      मोदी ने देश मे नोट बंदी करी।
फिर जमा काला धन बैंक में आ गया,
ऐसी लाइन लगाई, मज़ा आ गया।।

(२)देश परदेश मोदी ने दोरे किये,
जड़ से आतंक मिटाने के वादे किए।
बहुत से टैक्स लगते थे बाजार में,
एक GST लगाई मज़ा आ गया।।

(३)एक न एक दिन अच्छे दिन आएंगे,
      यह बिरोधी भी मोदी के गुण गाएंगे।
तीन तललाक़ इस्लाम से हट गई,
मोदी सरकार आई ,मज़ा आ गया।।

(४)हर समस्या का एक ही समाधान है,
     हिन्दू राष्ट्र बने सबका अरमान है।
दर्द है बेपनाह,यह "पदम" का बयां,
पीर मन की सुनाई, मज़ा आ गया।।

 ।।इति।।


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Panghat se dodi chali aaungi

------ तर्ज़:-मंदिर से दौड़ी चली आउंगी ------

  !!भजन!!

पनघट से दौड़ी चली आउंगी ,
कान्हा मुरली बजादे।।
मधुवन में रास रचाऊंगी, कान्हा मुरली बजादे।।

(१)श्याम सुंदर से लागे नैना,
     तुम बिन हमको चैन पड़े ना
प्रीत की रीति निभाउंगी, कान्हा मुरली बजादे।।

(२)नंद लला की सांवरी सूरत,
   चंचल चितवन मोहिनी मूरत
माखन मिश्री खिलाऊंगी,कान्हा मुरली बजादे।।

(३)तुमने मुरली मधुर बजाई,
   तन मन की मेने सुध बिसराई,
पीर जिया की दिखाउंगी,कान्हा मुरली बजादे।।

(४)श्याम पिया का मिले जो दर्शन,
    "पदम" ने जीवन कर दिया अर्पण।
मन मन्दिर में बसाउंगी,कान्हा मुरली बजादे।।

     ।।इति।।


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Shiv Ke Bhuvan Chali Aaungi

----- तर्ज़:-मंदिर से दौड़ी चली आउंगी -----

!!  भजन!!

शिव के भुवन चली जाउंगी,कोई रोके या टोके।
शिव की दिवानी बन जाउंगी,कोई रोके या टोके,

(१)पूजा की मेने थाल सजाई,
     गंगा जल लोटा भर लाई।
गंगा से शिव को नहलाऊंगी,कोई रोके या टोके

(२)धोरे अकौआ को फूल चढ़ाऊँ
      भांग धतूरे का भोग लगाऊं।
चंदन को टीका लगाउंगी,कोई रोके या टोके।

(३)पल पल शिव की छवि निहारूँ
      आम की डार पे झूला डारुं।
शिव को झूला झुलाऊंगी,कोई रोके या टोके।

(४)दर्शन की एक झलक दिखादो,
     "पदम" के मन को धीर बंधादो।
शिव जी के गुणगान गाऊँगी, कोई रोके या टोके

        ।।इति।।




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Luv Kush Ji Ke Charano Me

------- तर्ज़:-होठों को छूलो तुम, मेरे गीत --------
फ़िल्म:-प्रेम गीत

!!भजन!!

लवकुश जी के चरणों मे,श्रद्धा से नमन करलो।
आराध्य हमारे है,  पूजन अर्चन करलो ।।

(१)कुशवाहों के वंशज है,रघुकुल के स्वामी है,
सूंदर है युगल जोड़ी, सत के पथ गामी है।
यह समाज फले फूले,इनका सिमरन करलो ।।
लवकुश जी के चरणों में----------

(२)ममता मयी सीता के,आँचल की छाह मिली,
वन में खेला वचपन,भक्ति की ज्योति जली।
श्री राम प्रभु जी की,छवि के दर्शन करलो।
लवकुश जी के चरणों में-----------

(३)श्री वाल्मीकि जी से ,शिक्षा का दान मिला,
शत्रु पे विजय पाना,रण क्षेत्र का ज्ञान मिला।
गुरु वर की कृपा का, मन से चिंतन करलो।।
लवकुश जी के चरणों मे-----------

(४)लवकुश जैसा कोई,न वीर न बलशाली,
जब यज्ञ का अश्व मिला,हुआ युद्व विजय पा ली,
वेदों में लिखी महिमा,जन जन मंथन करलो।।
लवकुश जी के चरणों मे----------

(५)हो जाये सफल जीवन,यह जतन हमारा हो,
गुणगान"पदम"गाये, प्रभु संग तुम्हारा हो।
भव से तर जाएंगे, लवकुश के भजन करलो।।
लवकुश जी के चरणों मे,श्रद्धा से नमन करलो।

    ।।इति।।


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Kanha Jo Mil Gaye

----- तर्ज़:-तुम जो चले गये तो -----
फ़िल्म:-आस पास

 ! !भजन!!

कान्हा जो मिल गए तो,मिल जाये दुनिया सारी।
तुम्हे ह्रदय में बिठालूँ, कहती है राधिका प्यारी।।

(१)मेरे दिल का चैन लूटा,तिरछी नज़र मिलाके,
तन मन की सुधि बिसारी, मुरली मधुर बजाके।
कान्हा नही मिले तो,रहती है बे करारी ,
तुम्हे ह्रदय में बिठालूँ, कहती है राधिका प्यारी।।

(२)पनिया भरन गई थी,मिले राह में मुरारी,
मेरी बैया ऐसी पकड़ी,गागरिया फ़ोड़ डारी
कर दूंगी  में शिकायत,मैया से जा तुम्हारी,
तुम्हे ह्रदय में बिठालूँ, कहती है राधिका प्यारी।।

(३)अनमोल है यह जीवन,नेकी का काम करले,
कहते है "पदम"ज्ञानी,राधे का नाम भजले।
कारी कमरिया ओढ़े,आ जायेंगे बिहारी,
तुम्हे ह्रदय में बिठालूँ, कहती है राधिका प्यारी।।

  ।।इति।।


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Maihar ki har gali me,katra ki

----- तर्ज़:-तुम जो चले गये तो -----

फ़िल्म:-आस पास

 ::भजन::

मैहर की हर गली में,
कटरा की हर गली में।
जयकारा गूंजता है,मैया का हर गली में।।

(१)दर पे गया तो सोचा,जो चाहे मैया दे दे,
बेटा हू में तुम्हारा,आँचल की छैंया दे दे।
फूलों में हर कली में,गुलशन की हर गली में,
जयकारा गूंजता है,मैया का हर गली में।।

(२)नवराते में गया तो,जगराते चल रहे है,
मैया के आँगना में,भंडारे चल रहे है।
सूरज की रोशनी में,चंदा की चांदनी में,
जयकारा गूंजता है,मैया का हर गली में।।

(३)मंदिर गया तो देखा,बैठी है माँ भवानी,
भरती है सबकी झोली,महिमा "पदम" न जानी।
संतो की हर गली में,
भक्तो की हर गली में।
जयकारा गूंजता है ,मैया का हर गली में।।

।।इति।।


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Sunday, September 9, 2018

Ganraja Bade Hain Gyani Re

------ तर्ज:- में तो दीवाना,भोले का दीवाना -----

में तो दीवाना,गणपति का दीवाना
बड़े ज्ञानी है, गणराजा ,बड़े ज्ञानी





------ || श्री गणेश जी की महिमा || ------
बड़े ज्ञानी है,गणराजा,बड़े ज्ञानी

यही जग में अमर है कहानी रे |
गणराजा बड़े हैं ज्ञानी रे ||
(1)
पूरी हुई तपस्या, शंकर जी लौट आये
देखा महल के द्वारे, बालक को खड़ा पाये
शंकर ने उससे पूछा, क्या नाम है तुम्हारा
द्वारे पे पहरा देना, क्या काम है तुम्हारा
गौरा से मिलूँगा मैं, उनका मुझे पता दे
क्यों रोकता है मुझको, चल हट जा रास्ता दे
(2)
इस वक्त माता मेरी, स्नान कर रही है
अन्दर कोई भी जाए, यह आज्ञा नहीं है
जग जानता है उनको, गौरा है माता मेरी
बेटा हूँ मैं उन्हीं का, वो है विधाता मेरी
यह मुझको आज्ञा है, द्वारे से न हटूंगा
चाहे जान चली जाये, अन्दर न जाने दूंगा
(3)
इस बाल हठ पर शिव को, अचरज हुआ है भारी
गौरा बिना पति के, कैसे बनी महतारी
गुस्से में आये शंकर, त्रशूल जो संभाला
एक बार में ही बालक का शीश काट डाला
इतने में ही अचानक , गौरा नहा के आयीं
स्वामी के आगमन पर, गौरा ने दी दुहाई
द्वारे नजर गयी तो, बालक को मरा पाया
गौरा ने कहा शिव से, कैसी है नाथ माया
(4)
इतने बड़े महल में, बैचैन अकेली थी
न दास थे न दासी, न कोई सहेली थी
सुन्दर से एक बालक, का पुतला बना कर के
फिर जान उसमें डाली, अमृत को छिड़क कर के
आईं हजार खुशियाँ, आँचल में सिमट कर के
इतने जतन किये, यह लाल मैंने पाया 
पर आपके गुस्से ने, बेटे का सुख छिनाया
(5)
शिव ने बुला गुणों को, यह आज्ञा सुनाई
बेटे से मुंह को मोड़े, जो सो रही हो माई
जल्दी से जाकर उसका, तुम शीश काट लाओ
बीते न एक पल भी, देरी नहीं लगाओ
पल भी न बीत पाया, गण लौट कर के आये
हथनी के एक बच्चे का, शीश काट लाये
(6)
बालक के धड़ से शिव ने, गज शीश को लगाया
डमरू बजाके शिव ने, ऐसी दिखाई माया
ऊँगली से छिड़का अमृत, बालक में जान आई
सुत को गले लगाके, माँ गौरा मुस्कुराई
गणेश जी देवों के, सरताज बने केसे
आगे "पदम" बताओ ,गणराज बने केसे
(7)
शिव ने सभी देवों को आदेश सुनाया है
देना है अब परीक्षा,यह सब को बताया है
त्रिलोक की परिक्रमा,जो पहले लगाएगा
शुभ कार्यों में प्रथम पूजन के योग्य होगा
ले अपने अपने वाहन सवार हो गए है
हर देव विजय पाने को तैयार हो गए है
वाहन पे कर सबारी,सब देव चल दिए है
 कई रात ढल गईं है ,कई दिन भी ढल गए है
(8)
गणेश जी ने अपने मूषक को बुलाया है
मूषक पे कर सवारी,यह ध्यान में आया है
त्रिलोक के स्वामी है,माता पिता हमारे
इनकी करू परिक्रमा,गणेश यूं बिचारे
 माता पिता दोनों की,परिक्रमा जब लगाई
शिव जी समझ गए है,गणेश की चतुराई
वो ज्ञान से बुद्धि से, गणराज हो गए है
      याने"पदम्"वह देवों के, सरताज हो गए है

-: इति :-


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Lo Bachalo Meri Laaj

 ------तर्ज:- नज़्म ------

------ || द्रौपदी की पुकार ||------

लो बचालो मेरी लाज भैया, तेरी बहना लुटी जा रही है,
यह दुशाशन के हाथों कन्हैया मेरी साड़ी खींची जा रही है ||

सभा के मध्य जो गर्दन झुकाए बैठे हैं
माल धन धाम सभी कुछ लुटाये बैठे हैं
जाने ऐसी भी क्या लगन लगी हुयी मेरे पति को
जुए की बाजी में वो हार गए द्रौपदी को
यह न सोचा की अंजाम इसका क्या होगा
सभा में नग्न जो होगी तो उसका क्या होगा
अगरचे आज मेरी आबरू लुट जाएगी
इसकी बदनामी कन्हैया के सर पे आएगी

नीच पापी की नियत में फितूर आया है
तभी तो आज दुशाशन ने जुल्म ढाया है
हमारे स्वामी तो योद्धा हैं शान वाले हैं
क्यों आज इनकी जुबानों पे पड़े ताले हैं
तुम्ही थे मीरा के ह्रदय में समाने वाले
विष के प्याले से थे अमृत को बनाने वाले
भक्त प्रहलाद ने जिस वक्त तुमसे टेर करी
बचाया खंभ से था उस समय न देर करी

खींचते खींचते जिस वक़्त दुशाशन हारा
सोचा द्रौपदी ने की आगया मुरलीवाला
सभा में मान दुशाशन को घटाया तुमने
बचाई लाज को और चीर बढ़ाया तुमने
जिसने विपता में श्री श्याम को पुकारा है
उसने तूफ़ान में भी पा लिया किनारा है
मुरली वाला है, दयालु है, शान वाला है
"पदम्" की वो ही तो बिगड़ी बनाने वाला है

जिसने मोहन का गुणगान गया उसकी बिगड़ी बनी जा रही है 

-: इति :-


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Saturday, September 8, 2018

Meri Laaj Rakho Krishna

 ------ तर्ज:- रंग रंग के फूल खिले मोहे भाये कोई ------
------ फिल्म:- आन मिलो सजना ------

अंग भंग करे नीच दुशाशन द्रौपदी करे प्रार्थना,
मेरी लाज राखो कृष्णा - 2

मेरी बाजी जुये में लगायी है,
मेरी इज्जत की किश्ती डुबाई है,
पाँचों पांडव भी बैठे हैं सामने,
मेरे स्वामी ने गर्दन झुकाई है,
पापी हमारी करे खुआरी, आये इसे लाज ना || मेरी ||

यह रचाया हुआ एक जाल था,
कौरवों की नियत में मलाल था,
तेरी द्रौपदी की अस्मत से खेलना,
इस तरह से दुशाशन का ख्याल था,
भैया हमारे नैना हारे रो रो करूं वंदना || मेरी ||

थक गए हाथ जब बईमान के,
जो कि दुश्मन थे द्रौपदी की शान के,
"पदम्" श्याम दीनों के नाथ हैं,
टुकड़े टुकड़े किये अभिमान के,
धीर बंधाया चीर बढ़ाया, पूरी हुयी कामना || मेरी ||

-: इति :- 


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Shyam Yaad Rakhoge Ya Bhul Jaoge

------ तर्ज:- पिया याद रखोगे या भूल जाओगे ------

तू मुरली न बजाना, राधा को न तड़पाना,
यह सखियों का नजराना,
श्याम याद रखोगे या भूल जाओगे ||

पनघट पे वह मुरली बजाये, सखियों को वह खूब सताए,
श्याम मेरी मटकी को फोड़े है, बैयाँ वह मेरी मरोड़े है,
तू इतना न सताना अब और न तरसाना,
यह सखियों का नजराना || श्याम ||

ग्वालों के साथ रास रचाए, भक्तों की वह बिगड़ी बनाये,
ध्यान उनके चरणों में लागा  है, ज्ञान मेरे ह्रदय में जागा है,
बिगड़ी मेरी बनाना यह "पदम्" का फ़साना,
यह सखियों का नजराना || श्याम ||

-: इति :- 


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Boli Vasudev Se Devki

------ तर्ज:- कव्वाली ----
तर्ज़:- मेरे रश्के कवर,तूने पहली नज़र,
जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया ।।
------ || कृष्ण जन्म || ------

बोली वसुदेव से देवकी इस तरह
आज जन्में हैं कान्हा गजब हो गया

सुनके वसुदेव जी मन में घबरा गये
आंसू जब देवकी माँ के भी आ गए
कृष्ण बोले मैं अवतार हूँ राम का
उनके दर्शन दिखाना गजब हो गया

मुझको गोकुल में तुम छोड़ आओ अभी
कंस को यह खबर हो न जाये कहीं
कट गईं बेड़ियां जेल के पट खुले
ऐसी माया रचाना गजब हो गया

कृष्ण को सूप में रख के चलने लगे
बिजली चमकी और बादल गरजने लगे
मस्त भादों महीने की थी अष्टमी
राह जमुना से जाना गजब हो गया

पानी जमुना को देखा जो बड़ता हुआ
देख वसुदेव ने सूप ऊंचा किया
यमुना हरी के चरण छूना चाहती थी यूं
पाँव नीचे बढ़ाना गजब हो गया

धीर मन को हुआ पहुंचे नन्द भवन
लेके कन्या चले छोड़ा अपना ललन
सारी गोकुल में छायीं है खुशियाँ "पदम्"
आज जन्मे हैं ललना गजब हो गया

काट दूं प्रथम यदि हानि है किसी डाल से
देवकी को मार दूं यदि भय है उसके लाल से
क्यों व्यर्थ मारने को मुझे लाल हो गया
गोकुल में देख पैदा तेरा काल हो गया

पाप जब हठ पे होता है तभी अवतार होता है
इसी अवतार से भक्तों का बेड़ा पार होता है
सुमरते हैं जो मुझको उन पर मेरा प्यार होता है
न रहती पाप की सीमा तभी अवतार होता है

-: इति :-



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Raja Dashrath Yoon Ro Ro Kar

राम को जब तिलक की तैयारी हुई,
फिर तो खुशियाँ अयोध्या में भारी हुई,
चंद घड़ियों में बदली ख़ुशी की घड़ी,
एक दासी ने कर दी मुसीबत खड़ी,
रानी कैकई को मंथरा ने भड़का दिया,
यह बचन मांगों रजा से समझा दिया,
राज गद्दी हो मेरे भरत के लिए,
राम बनबास चौदह बरस के लिए ||

राजा दशरथ यूं रो रो के कहने लगे,
हाय बनबास मेरा दुलारा गया ||
लुट गए मेरे अरमान मेरी ख़ुशी,
टूट कर मेरी आँखों का तारा गया ||

क्या मिलेगा तुम्हें ऐसी जिद ठान कर,
इस तरह से न खेलो मेरी जान पर,
कैसे जीना हो मुश्किल पड़ी प्राण पर,
जब कि बनबास प्राणों का प्यारा गया ||

भाई लक्ष्मण व सीता भी संग हो लिए,
सब ने माता पिता के चरण छू लिए,
आज्ञा दो बचन अपना पालन करें,
राम ह्रदय से ऐसा पुकारा गया ||

राम लक्ष्मण सिया बन को जाने लगे,
रीति रघुकुल की रघुवर निभाने लगे,
इस तरह से  किया "पदम्" पूरा बचन,
होनी बलबान जिसको न टारा गया ||

-: इति :- 



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Kahe Bhole

कहे भोले हूँ प्यासा सुनकर यह बाणी,
हो गौरा रानी चली लेने पानी,
प्यासे पिया को चली लेने पानी ||

लेके चली बो खाली गगरिया,
जल की खोज में फिरे बावरिया,
आई सागर के तट पर शिव की दीवानी || हो गौरा ||

भरन लगे जब गौरा गागर,
कोन भरे जल सोचे सागर,
जब देखा है नार नबेली,
रूप मनोहर और है अकेली,
इससे शादी करूं, ऐसी मन में है ठानी || हो गौरा ||

हंस कर बोला पापी सागर,
बात करो कुछ नैन मिलाकर,
कौन हो तुम क्या नाम तुम्हारा,
जल भरना नहीं काम तुम्हारा,
मुझसे शादी करो करो दिल में मेहमानी,
मेरी रानी बनो करो दिल में मेहमानी || हो गौरा ||

पाप जगा सागर के मन में,
गौरा डूब गयी उलझन में,
गौरा यूं सागर से बोली,
क्यों पापी तेरी नीयत डोली,
अरे सागर हुआ तू बड़ा अभिमानी || हो गौरा ||

तू क्या मुझको न पहचाने,
शिव शक्ति को तू न जाने,
नाम तो मेरा पारबती,
भोला शंकर मेरा पति है,
राजा हिमाचल के बेटी हूँ,
अपने पति के संग रहती हूँ,
सब देवों से बो है निराला,
भांग धतूरे को पीने बाला,
मेरे पति को प्यास सताई,
इसलिए मैं जल भरने आई,
पापी तूने सती की कदर न जानी || हो गौरा ||

मन में जगा तेरे पाप बुरा है,
क्यों ले सती का श्राप बुरा है,
दिल में जो तेरे अभिमान रहेगा,
जग में तेरा न सन्मान रहेगा,
बात छोटी सी है बन जाये न कहानी || हो गौरा ||

श्राप सती का जब रंग लाया,
सागर का जब मंथन कराया,
सागर से चौदह रतन निकाले,
विष को पी गए भोले भाले,
देवों ने अमृत को पाया,
सागर का अभिमान मिटाया,
शिव की कृपा तो क्या गम है,
शिव के चरण की धुल "पदम्" है,
इसी कारण हुआ सागर तेरा खारा पानी || हो गौरा ||

-: इति :- 


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Friday, September 7, 2018

Swarg Se Sundar Watan Hai Mere Is Bhopal Ka

------ तर्ज:- गंगा मैया में जब तक कि पानी रहे ------
------ फिल्म:- सुहागरात -----
//दोहा//
क्षीर सिन्धु के है जल से अच्छा पानी ताल का |
स्वर्ग से सुन्दर वतन है मेरे इस भोपाल का ||

तात्या टोपे नगर मंडी जहांगीराबाद है |
है भी पिपलानी शहर का दिल जहाँ आबाद है ||

भद भदे का बहता पानी शिमला कोठी का है नाम |
टेकरा है भानु मनुआ और गुफा मंदिर की शान ||

छोले का हनुमान मंदिर, कमला रानी का महल |
शाह अली का मकबरा चारों तरफ है जल ही जल ||

खट्टे मीठे चरपरे का अपना अपना स्वाद है |
एक माँ के पुत्र हैं सबके अलादा नाम हैं ||

नीबू खट्टा गन्ना मीठा चरपरी मिरची की जात |
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई पारसी सब एक साथ ||

एक चमन के फूल हैं सब भाई हैं भारत के लाल |
एक बतन के लाखों लोग हर एक माँ के नौनिहाल ||
//भोपाल का गीत//
दोनों तालों में जब तक कि पानी रहे,
एम.पी. यहीं राजधानी रहे-राजधानी रहे
भैया ओ प्यारे भैया - 2

हमको भोपाल है जाँ से प्यारा,
सारे शहरों से है यह ही न्यारा,
खुश है रैययत यहाँ मोती मस्जिद यहाँ,
बिरला मंदिर की शोभा सुहानी रहे - 2 || भैया ||

भानुमन टैकरा है निराला,
मकबरा शाह अली का है आला,
जमा मस्जिद की शान, गुफा मंदिर महान,
भद भदे की सुहावन रवानी रहे - 2 || भैया ||

वह पुराना किला है पुराना,
कमला पारक बना है सुहाना,
लाल कोठी उधर सदर मंजिल इधर,
दो तलैया दोनों तालों की रानी रहे - 2 || भैया ||

चलो टी.टी नगर में घुमाऊँ,
बड़े रंगी नजारे दिखाऊं,
फूल है ला जबाब, कलियों में हिजाब,
इस चमन में हमेशा जवानी रहे - 2 || भैया ||

सुनो भोपाल के नौ जवानों,
मेरा कहना है क्या यह तो जानों,
मैं हूँ जन्मा यहाँ यह "पदम्" का बयां,
बस निछाबर मेरी जिंदगानी रहे - 2 || भैया ||

-: इति :-   



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Hind Se Jo Takraye

------ तर्ज:- एक बन्जारा गाये ------
------ फिल्म:- जीने की राह ------

हिन्द से जो टकराये, वह मौत के मुंह में जाए,
हम बीरों की ठोकर से वह मिटटी में मिल जाए,

है जाँ  से प्यारा यही है नारा, यह भारतवर्ष है देश हमारा,
यह आज़ादी जब पाए लाखों ने शीश कटाये || हिन्द ||

ओ पाकिस्तान तेरी शैतानी बहादुर लाल ने है पहचानी ,
यह पाक तो मुंह की खाए, अब चीनी खैर मनाये || हिन्द ||

ऐ बीरों जागो कदम को बढ़ाओ, यह भारत माँ की लाज बचाओ,
अब "पदम्" जान ही जाए पर शान न जाने पाए || हिन्द ||

-: इति :- 


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Mere Bapu Ki Hardam Yeh Aawaz Thi

मेरे बापू की हरदम यह आबाज थी, प्राण जायें तो मेरे बतन के लिये,
हिन्द की सेवा करने में पैदा हुआ, मैं मारूंगा तो मेरे बतन के लिये ||

हाथ में था तिरंगा यह थी आरजू, मरते दम तक तिरंगा न छोडूंगा मैं,
मैं तिरंगे के नीचे ही तोडूंगा दम यह तिरंगा है मेरे कफ़न क लिए ||

मालोजर पर कभी भी न तसब्बुर किया, अपना सब कुछ बतन पर निछावर किया,
एक थी चीज तो पास उनके बची, वह भी खादी की धोती बदन क लिए ||

जान जाये तो जाये मुझे गम नहीं, सर झुकेगा नहीं गैर के सामने,
हर समय प्यारे बापू ने हंस कर कहा सर कता दूंगा अपने वतन के लिए ||

हो मुबारिक बहारें यह आज़ादी की हिन्द के नौजवानों ऐ बीरों तुम्हें,
हर कलि यह कहे धन्य ओ बागवां खून से जिसने सींचा चमन क लिए |

मेरे हिन्दुस्तान की जमीं पे अगर कोई दुश्मन ने डाली जो तिरछी नज़र,
वक़्त आया "पदम्" तो कलम फेंककर मैं उठा लूँगा तलबार रण के लिए ||

-: इति :-


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Dil-E-Armaano Ko Roko Na

दिल-ऐ-अरमानों को रोको न मचल जाने दो |
आज बिछड़े शमा परबाने को मिल जाने दो ||

गले लग जाने को महफ़िल में शमा जलती है,
उसी को आग में परबानो को जल जाने दो ||

भवें तनी हैं कि जैसे कमान हो कोई,
तीर-ऐ-नज़रों को तो दीवाने पे चल जाने दो ||

बेवफा ऐसे न मारो किसी हमराही को,
अपने दीवानों को थोड़ा तो संभल जाने दो ||

करूं क्या दिल का भरोसा यह मचल जायेगा,
इसलिए कहता हूँ "पदम्" को ग़ज़ल गाने दो ||

-: इति :-


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