Friday, September 7, 2018

Dil-E-Armaano Ko Roko Na

दिल-ऐ-अरमानों को रोको न मचल जाने दो |
आज बिछड़े शमा परबाने को मिल जाने दो ||

गले लग जाने को महफ़िल में शमा जलती है,
उसी को आग में परबानो को जल जाने दो ||

भवें तनी हैं कि जैसे कमान हो कोई,
तीर-ऐ-नज़रों को तो दीवाने पे चल जाने दो ||

बेवफा ऐसे न मारो किसी हमराही को,
अपने दीवानों को थोड़ा तो संभल जाने दो ||

करूं क्या दिल का भरोसा यह मचल जायेगा,
इसलिए कहता हूँ "पदम्" को ग़ज़ल गाने दो ||

-: इति :-


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