------ तर्ज़:-मंदिर से दौड़ी चली आउंगी ------
!!भजन!!
पनघट से दौड़ी चली आउंगी ,
कान्हा मुरली बजादे।।
मधुवन में रास रचाऊंगी, कान्हा मुरली बजादे।।
(१)श्याम सुंदर से लागे नैना,
तुम बिन हमको चैन पड़े ना
प्रीत की रीति निभाउंगी, कान्हा मुरली बजादे।।
(२)नंद लला की सांवरी सूरत,
चंचल चितवन मोहिनी मूरत
माखन मिश्री खिलाऊंगी,कान्हा मुरली बजादे।।
(३)तुमने मुरली मधुर बजाई,
तन मन की मेने सुध बिसराई,
पीर जिया की दिखाउंगी,कान्हा मुरली बजादे।।
(४)श्याम पिया का मिले जो दर्शन,
"पदम" ने जीवन कर दिया अर्पण।
मन मन्दिर में बसाउंगी,कान्हा मुरली बजादे।।
।।इति।।
0 comments:
Post a Comment