----- तर्ज़:-मेरे रश्के कँवर,तूने पहली नज़र -----
!!भजन!!
गौरा ने घोंट कर,पीस कर,छान कर,
शिव को भंगिया पिलाई,मज़ा आ गया।।
छोड़ कैलाश को पहुंचे शमशान में,
गांजे की दम लगाई,मज़ा आ गया।।
(१)जब नशा भांग गांजे का चड़ने लगा,
भोला नचने लगे डमरू बजने लगा।
जल चुकीं थीं चिताएं जो शमशान में,
उनकी भस्मी लगाई,मज़ा आ गया।।
(२)वदी फागुन चतुर्दश तिथि आई है,
शिव से गौरा मिलन की घड़ी आयी है।
शिवजी दूल्हा बने ,गौरा दुल्हन बनी,
शिव ने शादी रचाई,मज़ा आ गया।।
(३)भोला धनवान हैं ना तो कंगाल हैं,
शिव महादेव हैं शिव महाकाल हैं।
शिव के चरणों मे हम,आ गए है"पदम"
राह मुक्ति की पाई, मज़ा आ गया।।
।।इति।।
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