------ तर्ज:- गंगा मैया में जब तक कि पानी रहे ------
------ फिल्म:- सुहागरात -----
//दोहा//
क्षीर सिन्धु के है जल से अच्छा पानी ताल का |
स्वर्ग से सुन्दर वतन है मेरे इस भोपाल का ||
तात्या टोपे नगर मंडी जहांगीराबाद है |
है भी पिपलानी शहर का दिल जहाँ आबाद है ||
भद भदे का बहता पानी शिमला कोठी का है नाम |
टेकरा है भानु मनुआ और गुफा मंदिर की शान ||
छोले का हनुमान मंदिर, कमला रानी का महल |
शाह अली का मकबरा चारों तरफ है जल ही जल ||
खट्टे मीठे चरपरे का अपना अपना स्वाद है |
एक माँ के पुत्र हैं सबके अलादा नाम हैं ||
नीबू खट्टा गन्ना मीठा चरपरी मिरची की जात |
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई पारसी सब एक साथ ||
एक चमन के फूल हैं सब भाई हैं भारत के लाल |
एक बतन के लाखों लोग हर एक माँ के नौनिहाल ||
//भोपाल का गीत//
दोनों तालों में जब तक कि पानी रहे,
एम.पी. यहीं राजधानी रहे-राजधानी रहे
भैया ओ प्यारे भैया - 2
हमको भोपाल है जाँ से प्यारा,
सारे शहरों से है यह ही न्यारा,
खुश है रैययत यहाँ मोती मस्जिद यहाँ,
बिरला मंदिर की शोभा सुहानी रहे - 2 || भैया ||
भानुमन टैकरा है निराला,
मकबरा शाह अली का है आला,
जमा मस्जिद की शान, गुफा मंदिर महान,
भद भदे की सुहावन रवानी रहे - 2 || भैया ||
वह पुराना किला है पुराना,
कमला पारक बना है सुहाना,
लाल कोठी उधर सदर मंजिल इधर,
दो तलैया दोनों तालों की रानी रहे - 2 || भैया ||
चलो टी.टी नगर में घुमाऊँ,
बड़े रंगी नजारे दिखाऊं,
फूल है ला जबाब, कलियों में हिजाब,
इस चमन में हमेशा जवानी रहे - 2 || भैया ||
सुनो भोपाल के नौ जवानों,
मेरा कहना है क्या यह तो जानों,
मैं हूँ जन्मा यहाँ यह "पदम्" का बयां,
बस निछाबर मेरी जिंदगानी रहे - 2 || भैया ||
-: इति :-
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