------ तर्ज:- चलाओ न नैनों से बाण रे -----
जलाओ रे ज्योति, करो ध्यान रे
माँ के चरणों में आन रे
कहीं निकल न जाये, कहीं निकल न जाये
ऐसा मौका महान रे |
शामिल भी हो, शामिल भी हो
हमरा भक्तों में नाम रे || जलाओ ||
ऊंचे पहाड़ों पे बैठी है माँ
मुंह माँगा बरदान देती है माँ
निर्बल को बलबान करती है माँ
निर्धन को धनबान करती है माँ || कहीं ||
मैया की सेवा में पंडा खड़े
ऊंचे शिखर लाल झंडा चढ़े
संजा सकारे करें आरती
मैया भी भव सिंध से तारती || कहीं ||
कैसे करूं पूजा और साधना
जानूं नहीं माँ की आराधना
मैया के द्वारे जो भी सबाली गया
अब तक कोई भी न खाली गया || कहीं ||
मैया के द्वार पे आये हैं हम, पूड़ी और हलुवा चाड़ायेंगे हम |
लाल लाल चूनर उड़ायेंगे हम, "पदम्" माँ के गुणगान गायेंगे हम ||
-: इति :-