------ तर्ज :- माहरे रस के भरो री राधा रानी ------
बैठी सिंह पे सबार माँ भवानी लागे, महारानी लागे,
माहणे ठंडा ठंडा बाण गंगा का पानी लागे ।।
ऊंचे ऊंचे परबत पर है, मैया के दरबार,
गुफा में बैठी वैष्णों माता, भरती है भंडार,
बैठी खोल के भंडारे महादानी लागे ।। महारानी ।।
पंडा बाबा करे आरती रोज सुबह और शाम,
नर नारी सब दर्शन करने, आयें तुम्हारे धाम,
लाल धुजा है शिखर पे, सुहानी लागे ।। महारानी ।।
पाप हरण करने को माँ ने, लिया काली अवतार,
खड़क त्रसूल से किया धरा पर असुरों का संहार,
मुण्ड माला है गले में, माँ शिवानी लागे ।। महारानी ।।
मैया के जयकारे गूंजे नौ दिन और नौ रात,
"पदम" पड़ा चरणों में मैया, सर पे रख दो हाथ,
सदा भक्तों पे मैया की मैहरबानी लागे ।। महारानी ।।
-: इति :-
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