------ तर्ज :- एक बेवफा का प्यार लिफाफे में बंद है ------
।। दोहा ।।
माँ गौरा के ललन को नमन बार बार है,
मूषे पे चले आओ तेरा इंतज़ार है
।। भजन ।।
किस्मत में जो लिखा है लिफाफे में बंद है,
गणपत की जो रजा है वह हमको पसंद है ।। किस्मत ।।
सर गज का लगाया था शिव ने गणेश को,
तब से गणेशजी का नाम गजानंद है ।। किस्मत ।।
जीवन में सबको खुशियां बराबर नहीं मिलती,
है कोई गमज़दा तो कोई दर्दे मंद है ।। किस्मत ।।
दर्शन दिखाने गणपति आते हैं हर बरष,
बस इसलिए भक्तों का होषला बुलंद है ।। किस्मत ।।
जो कुछ "पदम" ने लिख दिया मन की आवाज है,
न गीत है गजल है भजन है न छन्द है ।। किस्मत ।।
-: इति :-
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