तर्ज:- अब न छिपाऊँगा सबको बताऊंगा
तुझको कसम से मैं अपना बनाऊंगा
फ़िल्म:-,मेरा दिल तेरा आशिक़
-----।। भजन ।। -----
शबरी बिचारी है, प्रेम की मारी है,
स्वागत में रघुबर के , सुद बुद्ध बिसारी है,
लक्ष्मण राजा राम मेरे घर में पधारे ।।
(1)कबसे आस लगाई है,नैनन ज्योत जलाई है,
रघुनन्दन ने दरश दिए,मन की प्यास बुझाई है
अब न कोई आशा है,न कोई अभिलाषा है
मेरी कुटिया के बड़े भाग सुहाने हैं, आज प्रभु को मीठे भोग लगाने हैं,
थोड़ा करो विश्राम ।। मेरे घर में पधारे ।।
(2)चख चख मीठे बेर लिए,खट्टे खट्टे फेक दिए,
झूठे मीठे बेर प्रभु,बड़े प्रेम से ग्रहण किये
लक्ष्मण मन सकुचाये,झूठे बेर न खाये
शबरी के आंगन में ,खुशियों का डेरा है,कल तक अंधेरा था अब तो सबेरा है,
कैसे रखूं दिल थाम ।। मेरे घर में पधारे।।
(3)मुश्किल से नरतन पाया,माया में मन भरमाया
सब मतलब के साथी है,कोई काम नही आया
एक जतन करना है,भवसागर तरना है
, "पदम" ने माना है,दो दिन ठिकाना है
रघुवर के चरणों मे,गुणगान गाना है
बिगड़े बनेंगे सब काम ।। मेरे घर में पधारे ।।
-: इति :-
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