----- तर्ज:- ऐसी दुपरिया न जाऊं रे ----
सोने की लंका जलाय दई रे,
बीर बजरंगबली ने ||
रावण की लुटिया डूबाये दई रे,
बीर बजरंगबली ने ||
राम नाम द्वारे पे लिखा है,
मात सिया का पता मिला है,
विभीषण की कुटिया बचाय दई || बीर ||
शक्ति बाण लगे लक्ष्मण को,
रघुवर चैन पड़े नहीं मन को,
बूटी संजीवन को लाय दई रे || बीर ||
एक लाख पूत, सवा लख नाती,
कौन जलाय अब दीपक बाती,
"पदम्" की बिगड़ी बनाय दई || बीर ||
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