दोहा:- नशा ना नर को चाहिए,द्रव्य बुद्धि हर लेय
एक नशा के कारीने,सब जग तारी देय
//गीत// नशा बुरा जंजाल, ना आदत डाल ,
मेरा समझाना,नसीयत पर ध्यान लगाना ।।
(1) जो चाय पीते गरम गरम
दिन भर पीते ना आए शर्म
मिट जाए भूख नहीं खाए पेट भर खाना ।
नसियत पर ध्यान लगाना ।।
(2) जो बीड़ी सिगरेट पीते है
तन सुखा सुखा कर जीते है
जल जाए जिस्म खांसी में खून का आना ।
नसियत पर ध्यान लगाना ।।
(3) जो गांजा पीते मसल मसल
उनकी शकल लगे उजड़ी फसल
अब तो छोड़ो गांजे की चिलम चढ़ाना।
नसीयत पर ध्यान लगाना ।।
// दोहा//
जल थागन वैराग्य हटन,पंथ कुबाहन कोन।
सबल शाह ऐंसी लिखी, त्रिया भेज दो जोन ।।
द्रव्य नाश कारण लगे,काम हीन मति भंग ।
ऐसे कपटी मित्र को, छोड़ देव सत्संग ।।
(4) जो जर्दा गुटका खाते हे
फिर जीभ गाल गल जाते है
बड़ जाए रोग आपरेशन पड़े कराना।
नसीयत पर ध्यान लगाना ।।
(5) जो शराब पीते घड़ी घड़ी
उनकी मृत्यु द्वारे पर खड़ी
यूं कहे "पदम"बच्चों से इसे बचाना ।।
नसीयत पर ध्यान लगाना ।।
//इति//
जय माता दी दादा दादा को मेरा प्रणाम
ReplyDelete9918476137 इस गीत का धुन क्या है दादा
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