तर्ज़:- में निकला गड्डी लेके,रस्ते में एक सड़क पे
फिल्म:- ग़दर
!! खाटू श्याम भजन !!
में निकला जयपुर से,रस्ते में रिंगस के,
एक मोड़ आया, खाटू के दर दौड़ आया ।।
(1) बाबा का मन में ध्यान किया
रिंगस से एक निशान लिया
एक लाल चुनर में नरियल को
उस निसान के उपर बांध दिया
भक्ति में झूमा तन मन,ममता के सभी बंधन
में तोड़ आया । बाबा के दर दौड़ आया ।।
(2) आगे फिर तोरण द्वार मिला
बाबा का प्यार दुलार मिला
जहां ढोल नगाड़े बाज रहे
बाबा के प्रेमी नाच रहे
हुआ सच्चा मेरा सपना, प्रेमियों में नाम अपना
में जोड़ आया । बाबा के दर दौड़ आया ।।
(3) राधे के नाम का तिलक लगा
यूं समझो मेरा भाग्य जगा
एक सुर्ख गुलाब का फूल लिया
मेने श्याम चरण में भेंट किया
यही दर है मेरी मंजिल,वह निशान वह नारियल
वही छोड़ आया । बाबा के दर दौड़ आया ।।
(4) खाटू का धाम निराला है
वह नीले घोड़े बाला है
यह "पदम"विपति का मारा है,
हारे का श्याम सहारा है
खाटू का जयकारा,ज्योति का उजियारा
नया भौर लाया । खाटू के दर दौड़ आया ।।
// इति//