तर्ज़:- निर्बल के प्राण पुकार रहे,जगदीश हरे जगदीश हरे
//माता रानी का विदाई भजन//
मां दशम दिन चली, हमसे होकर विदा ।
लो चली मां चली, अब न रोको रास्ता ।।
(1)द्वार मां का सजा, मां की ज्योति जली
मां ने संकट हरे,सबकी झोली भरी
छोड़ जायेगी मां ,यह था सबको पता ।।
(2) मां की भक्ति मिली, मां के जगरात में
हर बर्ष आना मां, हर एक नवरात्र में
कोन है मां के जैसा, मां इतना बता ।।
(3)माता और बेटे का नाता टूटे नहीं
उम्र भर आपका साथ छूटे नहीं
आप ही की शरण में,"पदम"है सदा ।।
//इति//
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