तर्ज :-हुरिया में उड़े रे गुलाल
काशी के काल भैरव नाथ
तुम्हारी जय जय हो।।
अगहन वदी की अष्टमी प्यारी
काल भैरव शिव के अवतारी
ब्रम्हा जोड़े दोई हाथ ।।काशी ।।
काशी के तुम द्वारपाल हो
मरघट वाशी काल कपाल हो
कृपा की करें बरसात ।।काशी ।।
आठ रूप भैरव कहलाते
स्वान को अपने संग बिठाते
"पदम" को मिले आशीर्वाद ।।काशी ।।
// इति//