तर्ज:- श्री राम से कह देना एक बात अकेले मे
एवं
ओंठो को छूलो तुम,मेरे गीत अमर करदो
// राम भजन//
श्री राम के भजन बिना नर तन किस काम का है ।
मन में दया धरम बिना,जीवन किस काम का है ।।
(1)एक फूल कभी तुमने मंदिर में चढ़ाया नहीं
खुशबू से महकता हुआ गुलशन किस काम का है।।
(2) सूना सूना आंगन, सूना रक्षा बंधन ,
जिस बहिन का भाई न हो,सावन किस काम का है
(3) हर डाल पे लिपट रहे, करयारे नाग कई
त्रिपुंड तिलक बिना,चंदन किस काम का है ।।
(4) छप्पन रुचि भोग धरे, हरि के न मन भाए
तुलसी के पात्र बिना भोजन, किस काम का है ।।
(5) रुपया पैसा माया,यह आनी जानी है
निर्धन की मदद बिना,यह धन किस काम का है
(6) नित मंदिर में जाते,नित ध्यान "पदम" करते,
श्रद्धा सत कर्म बिना, पूजन किस काम का है।।
//इति//
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