तर्ज:- अमृत बाणी (गायक अनुराधा पौडवाल)
// नो देवी अमृत बाणी //
नों देवी को नमन करूँ,सुमरु बारम्बार।
वंदन अभिनंदन करूं,नव रात्रि त्यौहार ।।
नर नारी सब अरज करें, खड़े माई के द्वार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
**** जय जय अम्बे मां,जय जगदम्बे मां ****
(1) शैल पुत्री प्रथम सुमर,मैया सिंह सवार।
पूरी हो मनकामना, है सच्चा दरबार।।
गाय के घी से हलवा का,भोग करो स्वीकार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
(2) ब्रह्मचारिणी माई का दूजा है स्थान।
करलो इनकी साधना,हो जाए कल्याण।।
मिश्री खांड का भोग है,माई करो स्वीकार ।। धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
(3) माई चंद्रघंटा सुमर,तीजे लेऊ मनाए।
जग जननी जग तारिणी,बिगड़े काज बनाए
दूध से बनी मिठाई का, भोग करो स्वीकार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार।।
(4) कूष्मांडा माई की,चौथी पूजन होय ।
जो चरणों में ध्यान धरे,सफल मनोरथ होय।।
मीठे मालपुआ धरे, माई करो स्वीकार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
(5) स्कंद माता आपको,पंचम लेउ मनाए।
अष्ट मुखी कृपा करो, हम दर्शन को आए।।
केला फल अर्पण करें,भोग करो स्वीकार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
(6) कात्यायनी माई की,महिमा कही न जाए।
छठवीं मां की साधना, मन चाहा फल पाए।।
पंचामृत ओर शहद का,भोग करो स्वीकार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
(7) काल रात्रि मात का,सप्तम रूप विशाल।
बैठी मां श्मशान में, डर कर भागे काल ।।
गुड़ से बनी मिठाई का,भोग करो स्वीकार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
(8) महागौरी अष्टम सुमर, खांडा खप्पर धार
मुंडमाल गर्दन पड़ी,दानव दिए संहार ।।
नारियल निबुआ भोग धरे, माई करो स्वीकार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
(9) नवमीं मां सिध्दात्री, महिमा बड़ी अपार।
कन्या पूजन जो करे,भर जाए भंडार।।
खीर पुड़ी का भोग है,माई करो स्वीकार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
(10) नवदुर्गे की शरण में,"पदम",करे गुणगान।
सब पे कृपा कीजिए,हम बालक नादान।।
नर नारी सब अरज करें, माई करो स्वीकार ।
धूप कपूर की आरती,हो रही जय जयकार ।।
****जय जय अम्बे मां,जय जगदम्बे मां****
//इति//
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